क्या दाहिनी जानिब से इक़ामत कहना ज़रूरी है?
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आजकल यह जरूरी ख्याल किया जाता है कि इकामत या तकबीर जो जमाअत काइम करने से पहले मुअज्जिन लोग पढते हैं उस में पढने वाला इमाम के पीछे या दाहिनी तरफ हो ओंर बायें जानिब खडे होकर तकबीर पढने को ममनूअ ख्याल करते हैं I हालाकि तकबीर बायीं तरफ से पढना भी मना नहीं है I
सय्यिदी आलाहज़रत फरमाते हैं:-
"और इक़ामत की निसबत भी तअय्युने जेहत कि दाहिनी तरफ हो या बाईं तरफ फ़कीर की नज़र से न गुज़री---- हाँ इस क़दर कह सकते हैं कि मुहाजात इमाम फिर जानिबे रास्त मुनासिब तर है।" (फतावा रज़विया, जिल्द 2 , सफड़ा 465)
खुलासा यह कि इमाम के पीछे या दाहिनी तरफ़. से पढ़ना ज्यादा बेहतर है लेकिन बाईं तरफ से पढना भी जाइज़ है । और इससे नमाज में कोई कमी नहीं आती और दाहिनी तरफ को जरूरी ख्याल करना गलतफहमी है |
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