Friday


क्या जमाअत से नमाज़ पढ़ने वाले को इमाम के साथ दुआ मांगना भी ज़रूरी है?

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हर नमाज़ सलाम फेरने पर मुकम्मल हो जाती है उसके बाद जो दुआ मांगी जाती है यह नमाज़ में दाखिल नहीं । अगर कोई शख्स नमाज़ पढने यानी सलाम फेरने के बाद बिल्कुल दुआ न मांगने तब भी उसकी नमाज़ में कमी नहीं । अलबत्ता एक फ़जीलत से महरूमी और सुन्नत की खिलाफ़ वर्ज़ी है । कुछ जगह देखा गया कि इमाम लोग बहुत लम्बी लम्बी दुआयें पढते हैं और मुक़तदी कुछ खुशी के साथ और कुछ बे रगबती से मजबूरन उनका साथ निबाहते हैं ।और कोई वगैर दुआ मांगे या थोडी दुआ मांग कर इमाम साहब का  पूरा साथ दिये बगैर चला जाए तो उस पर एतराज करते हैं और बुरा जानते हैं I ‘यह सब उनकी गलतफहमियां हैं इमाम के साथ दुआ मांगना मुकतदी के ऊपर हरगिज लाज़िम व जरूरी नहीं वह नमाज़ पूरी होने के बाद फ़ौरन मुख्तसर दुआ मांगकर भी जा सकता है । और कभी किसी मजबूरी और उज्र की बिना पर बगैर दुआ मांगे चला जाए तब भी नमाज़ में कमी नहीं आती ।
हवाले के लिए फतावा रज़विया जिल्द सोम सफहा 278 देखें।

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