पंजवक़्ता नमाज़ में सुस्ती और वज़ीफ़े पढ़ना
⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬काफी लोग देखे गए कि वह नमाजों का ख्याल नहीं रखते और पढते भी हैं तो वक़्त निकाल कर जल्दी जल्दी या बे जमाअत के । और वज़ीफों और तस्वीहों में लगे रहते हैं उनके वजीफे उनकें मुँह पर मार दिये जायेंगे क्यूकि जिसके फर्ज़ पूरे न हों उसका कोई नफ़्ल कबूल नहीं । इस्लाम में सब से बडा वजीफा और अमल नमाज़े बाजमाअत की अदाएगी है । आलाहज़रत फरमाते है:
"जब तक फर्ज़ ज़िम्मे बाकी रहता है कोई नफ़्ल कबूल नहीं किया जाता । (अलमलफूज़ ,हिस्सा अव्वल, सफहा. 77)
हदीस शरीफ में हैं कि हज़रते उमर फारूके आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु ने एक दिन फ़ज्र की जमाअत में हज़रते सुलेमान बिन अबी हसमा को नहीं पाया । दिन में बाजार को जाते वक़्त उनके घर के पास से गुजरे तो उनकी माँ से पूछा कि आज सुलेमान जमाअत में क्यूँ नहीं थे । उनकी वालिदा हज़रते शिफ़ा ने अर्ज़ किया कि रात भऱ जाग का इबादत करते रहे फ़ज्र की जमाअत के वक़्त नींद आ गई और जमाअत में शरीक होने से रह गए । अमीरुल मोमिनीन हज़रते उमर फारूके आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु ने फरमाया कि मेरे नज़दीक सारी रात जाग कर इबादत करने से फ़ज्र की जमाअत में शरीक होना ज़्यादा अच्छा है । (मिश्कात ,बाबुल जमाअत, सफ़हा 67)
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