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नसबन्दी कराने वाले की इमामत का हुक़्म

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नसबन्दी कराना इस्लाम में हराम है । लेकिन कुछ लोग ख्याल करते हैं कि जिसने नसबन्दी करा ली अब वह जिन्दगी भर नमाज़ नहीं पढा सकता । हप्लांकि ऐसा नहीं है बल्कि इस्लाम में जिस तरह और गुनाहों की तौबा है उसी तरह इस गुनाह की भी तौबा है।

यानी जिस की नसबन्दी हो चुकी है अगर वह सच्चे दिल से एलानिया तौबा करे और हराम कारियों  से रुके तो उस के पीछे नमाज पढी जा सकती है ।

(फतावा फैज़ुर्रसूल, जिल्द 1, सफहा, 277)

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