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कुरआन पढ़ने में सिर्फ होंट हिलाना और आवाज़ न निकालना

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कुछ लोग कुरआन की तिलावत और नमाज़ या नमाज़ के बाहर कुछ पढते हैं तो सिर्फ होंट हिलाते हैं और आवाज़ बिल्कुल नही निकालते हैं उनका यह पढना, पढना नहीं है और इस तरह पढने से नमाज़ नहीं होगी और इस तरह कुरआन की तिलावत की तो तिलावत का सवाब नही पायेंगे । आहिस्ता पढ़ने का मतलब यह है कि कम से कम इतनी आवाज जरूर निकले कि कोई रुकावट न हो तो खुद सुन ले, सिर्फ होंट हिलाना और आवाज़ का बिल्कुल न निकलना पढ़ना नहीं है और इस मसअले का खास ध्यान रखना चाहिए।
(फतावा आलमगीरी मिस्री,जिल्द अव्वल, सफ़हा 65,बहारे शरीअत,जिल्द 3,सफहा 69)

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