Sunday


जुमे की दूसरी अज़ान मस्जिद के अन्दर देना

⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬

फिक्हे हनफी की तकरीबन सारी किताबों में यह बात साफ लिखी हुई है कि कोई अज़ान मस्जिद में न दी जाए । खुद हदीस शरीफ से भी यही साबित है और किसी हदीस और किसी इस्लामी मोतबर व मुसतनद किताब में यह नहीं है कि कोई अज़ान मस्जिद के अन्दर दी जाए । मगर फिर भी कुछ जगह कुछ लोग जुमे की दूसरी अजान मस्जिद के अन्दर इमाम के सामने खडे होकर पढते हैं और सुन्न्त पर अमल करने बसे महरूम रहते हैं और महज़ ज़िद और हठधर्मी की बुनियाद पर रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की प्यारी सुन्नत छोड़ देते हैं।

और कुछ मक़ामात पर तो लॉडस्पीकर मस्जिद के अन्दर रखकर पा पाँचो वक़्त अज़ान पढ़ते हैं। इस तरह अज़ान देने वाले और दिलवाने वाले सब गुनाहगार हैं ।

फतावा आलमगीरी में है।

"मस्जिद में कोई अज़ान न दी जाए । "

(आलमगीरी ,बाबुल अज़ान ,फ़स्ल 2, सफहा 55)


No comments:

Post a Comment