Saturday

नमाज़ में कुहनियाँ खुली रखना

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बिला मजबूरी कुहनियाँ खोल कर जैसे आजकल आधी आस्तीन की शर्ट पहन का कुछ लोग नमाज़  अदा करते है । यह मकरूह है और ऐसी नमाज़ को लौटाने का हुक्म है ।

(फतावा रज़विया, जिल्द 3, सफहा, 416)

और जो लोग आस्तीन चढा कर और कुहनियॉ खोल कर नमाज़ अदा करते हैं उन पर दो गुनाह होते हैं एक कपड़ा समेटने और चढाने का और दूसरा कहनियाँ खुली रखने का क्यूकि नमाज़ में कपड़ा चढाना मना है जैसे क्या लोग सज्दे में जाते वक़्त दोनों हाथों से पाजामे के पायेंचे को पकड़ कर चढ़ाते हैं, यह भी नाजाइज़ व गुनाह है । इस किस्म के नमाज़ियों को प्यार व महब्बत से समझाते रहना चाहिए या बजाय एक एक को टोकने और रोकने के, सबको इकठ्ठा करके मसअला बता दिया ताकि कोई अपनी तौहीन महसूस न करे क्यूँकि आजकल दीनी बातों पर टोका जाये तो लोगों में तौहीन महसूस करने की बीमारी पैदा हो गई है।

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