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शरअ पयम्बरी महर मुकर्रर करना

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कभी-कभी कुछ जगहों पर निकाह में महर शरअ पयम्बरी मुकर्रर किया जाता है और उससे उनकी मुराद  चौसठ रुपये और दस आने होती है या कोई और रकम। हालांकि यह सब यह सब बातें हैं शरीयत ए पैगम्बरे आज़म सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने महर में ज़्यादती की कोई हद मुकर्रर नहीं की है जितने पर दोनों में फरीक मुत्त्तफिक़ हो जाए वही महर शरए पयम्बरी है हां कम से कम महर की मिकदार दस दिरहम यानी तकरीबन दो तोले तेरह आने भर चांदी है उससे कम महर सही नहीं  अगर बांधा गया तो महरे मिस्ल लाज़िम आएगा । और  बाज़ लोग महर शरअ पयम्बरी से सय्यिदितुना फातिमा रदियल्लाहु तआला अन्हा के अक़दे  मुबारक का महर ख्याल करते हैं हालांकि खातूने जन्नत के निकाहे मुबारक का महर चार सौ मिस्काल यानी डेढ़ सौ तोले चांदी था।

     खुलासा यह की शरअ की तरफ से महर की कोई रकम मुकर्रर नहीं की गई । हाँ यह ज़रुर है कि दस दिरहम यानी दो तोले तेरह आने भर चांदी से कम कीमत न हो।

(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह ,पेज 76)

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