इद्दत के लिए औरत को मायके में लाना
⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬आजकल अगर किसी औरत को तलाक हो जाए तो मायके वाले उसको फौरन अपने घर ले जाते हैं बल्कि इस पर फख्र किया जाता है और अगर वह शौहर के घर में रहे तो कुछ लोग उसके मां-बाप और भाइयों को गैरत दिलाते हैं की तलाक़ के बाद भी लड़की को शौहर के घर छोड़ दिया है यह सब गलत बातें हैं
मसअला यह है की तलाक के बाद भी औरत शौहर के घर में ही इद्दत गुज़ारें और शौहर के ऊपर इद्दत का नान व नफ़का और रहने के लिए मकान देना लाज़िम है।
क़ुरआन करीम के पारा 28 सूरह तलाक का तर्जमा यह है >"तलाक वाली औरतों को उनके घर से न निकलो न वह खुद निकले मगर जब कि वह खुली हुई बेहयाई करें।"<
हां यह जरूर है कि वह दोनों अजनबी और एक दूसरे के गैर हो कर रहे और बेहतर यह है कि उन के दरमियान कोई बूढ़ी औरत रहे और उनकी देखभाल रखें और यह भी हो सकता है कि शौहर घर में न रहे ख़ास कर रात को कहीं और सोये। औरत के हाथ का पका हुआ खाना खाने में कोई हर्ज नहीं है शौहर के कपड़े बगैरा धोना भी तलाक़ के बाद कोई गुनाह नहीं है क्योंकि बादे तलाक वह अगरचे बीवी नहीं मगर एक मुसलमान औरत है और शरई हुदूद की पाबंदी के साथ एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान के काम में आ जाना हुस्ने अखलाक है और अच्छी बात है।
यह जो कुछ जगह लोग इतनी सख्ती करते हैं कि बादे तलाक इद्दत में अगर शौहर बीवी के हाथ का पका हुआ खाना भी खा ले तो हुक़्क़ा पानी बन्द कर देते हैं, यह गलत है। जब तक खूब यकीन से मालूम न हो कि वो मियां बीवी की तरह मख़सूस मुआमलात करते हैं सिर्फ शुकूक की वजह से उन्हें तंग न किया जाये और बदगुमानी इस्लाम में गुनाह है।
हाँ अगर तलाक ए मुगल्लज़ा या बाइना की इद्दत हो और शौहर फ़ासिक़ ,बदकार हो और कोई वहां ऐसा ना हो कि अगर शौहर की नियत खराब हो तो उसको रोक सके तो औरत के लिए उस घर को छोड़ देने का हुक्म है ।
(फतावा फैज़ुर्रसूल ,जिल्द 2 सफ़हा 290)
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