हज़रत अली मुश्किल कुशा और सोलह सय्यिदों का रोज़ा
⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬कुछ जगह औरतें अली मुश्किल कुशा (रदियल्लाहु तआला अन्हु) का रोज़ा रखती है तो रोज़ा हो या कोई इबादत सब अल्लाह तआला के लिए ही होती है । हां अगर यह नियत कर ली जाए कि इसका जवाब हजरत अली रदियल्लाहु तआला अन्हु की रूहे पाक को पहुंचे तो यह अच्छी बात है लेकिन इस रोज़े में इफ़्तार आधी रात में करती हैं और घर का दरवाजा खोलकर दुआ मांगती हैं यह सब खुराफात और वाहियात और वहमपरस्ती की बातें हैं ।
(फतावा रज़विया , जिल्द 4 , सफहा 660)
यूं ही 16 रजब को सोलह सय्यिदों का रोज़ा रखा जाता है । उसमें जो कहानी पढ़ी जाती है , वह गढ़ी हुई है ।
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह , पेज 73)
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