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अगर सही पीर न मिले तो क्या करना चाहिए?

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अक़ाइदे सहीहा पर काइम रहे अहकामे शरीअत परअमल करे और तमाम औलिया किराम और उलमाए ज़विल एहतिराम से महब्बत करें । हुज़ूर पुरनूर सय्यिदना गौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु से अर्ज़ की गई कि अगर कोई शख्स हुज़ूर का नाम लेवा हो और उसने न हुज़ूर के दस्ते मुबारक पर बैअत की हो न हुज़ूर का खिरका पहना हो क्या वह हुज़ूर के मुरीदों में है तो फ़रमाया: जो अपने आप को मेरी तरफ मनसूब करे और अपना नाम मेरे गुलामों में शामिल करे अल्लाह तआला उसे कबूल फरमाएगा और वह मेरे मुरीदों के जुमरे में है।
(ब हवाला फतावा अफ्रीका, सफहा 140)

इसके अलावा सय्यिदना शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी अलैहिर्रहमह ने फरमाया कि जिसको पीरे कामिल जामेअ शराइत न मिले वह हुज़ूर (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ) पर कसरत से दुरूद पढ़े।
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह,पेज 92)

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