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क्या हर दीवाना मजज़ूब वली है?

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अल्लाह तआला के नेक बन्दो और औलिया किराम में एक खास किस्म मजज़ूबों की भी है। ये लोग हैं जो खुदाए तआला की महब्बत और उसकी याद में इतने गर्क हो जाते हैं कि उन्हें अपने तन बदन का होश नहीं रहता और दुनिया वालों को पागल और दीवानों से नजर आते हैं। लेकिन हर पागल और दीवाने को मजज़ूब नहीं ख्याल करना चाहिए। आजकल आम लोगों में यह मर्ज  पैदा हो गया है कि जिस पागल को देखते हैं उस पर विलायत और मजज़ूबियत का हुक्म लगा देते हैं और उसके पीछे घूमने लगते हैं। और अगर कोई है भी तो उसको उसके हाल पर छोड़ दीजिए वह जाने और उसका रब ।

बेहतर तरीका यह है कि अगर किसी शख्स के बारे में आपको ऐसा शक हो जाए तो उसकी बुराई भी मत कीजिए और उसके पीछे भी मत घूमिए। आप तो वह करो जिसका आपको खुदाए तआला ने हुक्म दिया- अहकामे शरअ की पाबन्दी करें बुरे कामों से बचें इस्लाम में ऐसा कोई हुक्म नहीं है कि दीवानों में तलाश करो कि उनमें कौन मजज़ूब है और कौन नहीं।

बाज़ जगह ऐसी सुनी सुनाई बातों पर यकीन करके कुछ लोगों को मजज़ूब करार दे दिया जाता है और फिर लाखों लाख रुपया खर्च करके उनके मरने के बाद मज़ार बना देते हैं और उर्सों के नाम पर मेले ठेले और तमाशे शुरू कर देते हैं। और उर्सों के नाम पर ये मेले और तमाशे दिन ब दिन बढ़ते जा रहे हैं और इस्लाम और इस्लामियत के हक़ में यह अच्छा नहीं हो रहा है।

खुलासा यह है कि अगर कोई मजज़ूब है और वह खुदाए तआला की याद में बेहोश हुआ है तो उसका सिला और बदला उसको अल्लाह तआला देने वाला है । आपके लिए तो दूरी ही बेहतर है और ये जो अहले इल्म व फ़ज़्ल औलिया व उलेमा की सुहबत इख्तियार करने की फ़ज़ीलत आई हैं, ये मजज़ूबों के लिए नहीं। मजज़ूब की सुहबत से कोई फाइदा नहीं है।
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हुज़ूर मुफ्ती आज़म हिन्द मौलाना मुस्तफा रज़ा खां अलैहिर्रहमह फरमाते है
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हर कस व नाकस को मजज़ूब नहीं समझ लेना चाहिए और जो मजज़ूब हो उससे भी दूर ही रहना चाहिए कि इससे नफा कम और ज़रर(नुकसान) ज़ाइद पहुँचने का अंदेशा है।
(फतावा मुस्तफविया ,हिस्सा 3, सफहा 175)
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कुछ दीवाने सत्र खोले नंगे पड़े रहते हैं और लोग उनके पास जाकर उन की खिदमत करते हैं । यह गुनाह है क्योंकि वह अगर मजज़ूब भी हैं तब भी ऐसी हालत देखना नाजाइज़ है क्योंकि वह मजज़ूब है आप तो होश में हैं। मजज़ूब होने की बिना पर अगरचे उस पर गुनाह नहीं लेकिन आप उसके बदन के वो हिस्से देखेंगे जिनका छुपाना फर्ज है तो आप जरूर गुनहगार होंगे।
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह, पेज 104)

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