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बुज़ुर्गों की तसवीरें घरों में रखना

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आजकल बुजुर्गाने दीन की तस्वीरें और उनकी फोटो घरो दुकानों में रखने का भी रिवाज़ हो गया है । यहां तक कि कुछ लोग पीरों , वलियों की तस्वीरें फ्रेम में लगाकर घरों में सजा लेते हैं और उन पर मालाये डालते अगरबत्तियां सुलगाते यहां तक कि कुछ जाहिल अनपढ़ उनके सामने मुशरिकों, काफिरों ,बुतपरस्तो की तरह हाथ बांध कर खड़े हो जाते हैं । यह बातें सख्त तरीन हराम , यहां तक कि कुफ्र अंजाम है बल्कि यह हाथ बांधकर सामने खड़ा होना उन पर फूल मालाएं डालना है यह काफिरों का काम है ।
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सय्यिदी आला हज़रत मौलाना शाह अहमद रज़ा खां साहब अलैहिर्रहमह इरशाद फरमाते हैं ।
अल्लाह अज़्ज़ वजल इबलीस के मक्र से पनाह दे । दुनिया मे बुत परस्ती की इब्तिदा यूंही हुई कि अच्छे और नेक लोगों की महब्बत में उनकी तसवीरें बना कर घरों और मस्जिदों में तबर्रुकन रख ली । धीरे धीरे वहीं मअबूद हो गई
(फतावा रज़विया , जिल्द 10 , क़िस्त 2 , मतबूआ बीसलपुर , सफ़हा 47)
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बुखारी शरीफ और मुस्लिम शरीफ की हदीस में है कि वुद ,सुवाअ, यऊक और नसर जो  मुशरिकीन के मअबूद और उनके बुत थे जिनका ज़िक्र क़ुरआने करीम मे भी आया है। यह सब कौमे नूह के नेक लोग थे उनके विसाल हो जाने के बाद कौम ने उनके मुजस्समे बना कर अपने घरों में रख लिये उस वक़्त सिर्फ महब्बत में ऐसा किया गया था लेकिन बाद के लोगों ने उनकी इबादत और परसतिश शुरू कर दी । इस किस्म की हदीसे कसरत से हदीस की किताबों में आई हैं ।
खुलासा यह कि तसवीर, फ़ोटो इस्लाम में हराम हैं ।और पीरों, वलियों, अल्लाह वालों के फ़ोटो और उनकी तसवीरें और ज़्यादा हराम हैं । काफिरों , इस्लाम दुश्मन ताक़तों की साजिशें चल रही हैं वह चाहते हैं कि तुमको अपनी तरह बनायें और तुम से कुफ्र करायें खुद भी जहन्नम में जायें और तुमको भी जहन्नम में ले जायें।

(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह, पेज 94)

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