नमाज़ी के सामने से गुज़रना मना है हटना गुनाह नहीं
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आमतौर से मस्जिदों में देखा गया है कि दो शख्स आगे पीछे नमाज पढ़ते हैं यानी एक पिछली सफ में और दूसरा उसके सामने अगली सफ में । अगली सफ में नमाज पढने वाला पीछे वाले से पहले फ़ारिग हो जाता हैं और फिर उसकी नमाज खत्म होने का इन्तिजार करता रहता है कि वह सलाम फेरे तब यह वहॉ हटे और इससे पहले हटने को नमाजी के सामने से गुजरना ख्याल किया जाता है हालांकि ऐसा नहीं है ।आगे नमाज पढने वाला अपनी नमाज पढ कर हट जाए तो उस पर गुजरने का गुनाह नहीं है ।
खुलासा यह कि नमाजी के सामने से गुजरना मना है हटना मना नहीं है । सदरुश्शरीआ हजरत मौलाना अमजद अली साहब आजमी अलैहिर्रहमा फरमाते हैं
अगर दो शख्स नमाजी के आगे से गुजरना चाहते हो और सुतरह को कोई चीज नहीं तो उन में से एक नमाजी के सामने उसकी तरफ पीठ करके खड़ा हो जाए और दूसरा उसकी आड़ पकड़ के गुजर जाए। फिर वह दूसरा उसकी पीठ के पीछ नमाजी की तरफ पुश्त करके खड़ा हो जाए और गुजर जाए । वह दूसरा जिधर से आया उसी तरफ हट जाए (आलमगीरी ,रद्दुलमुहतार ,बहारे शरीअत, हिस्सा सोम, सफहा 159) .
इस से जाहिर है कि गुजरने और हटने में फर्क है और गुज़रने का मतलब यह है कि नमाजी के सामने एक तरफ से आए और दूसरी तरफ निकल जाए यह यकीनन नाजाइज़ व गुनाह है । और अगर नमाज़ी के सामने बैठा हैं और किसी तरफ हट जाए तो यह गुज़रना नहीं है और इसमें कोई गुनाह नही है ।
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