क्या मछली और अरहर की दाल पर फ़ातिहा नहीं होगी?
⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬हमारे कुछ अवाम भाई अपनी नावाकिफ़ी की वजह से यह
ख्याल करते हैं कि मछली और अरहर की दाल पर फातिहा नहीं पढ़ना चाहिए हालांकि यह उनकी गलतफहमी है । इस्लाम में जिस चीज़ को खाना हलाल और जाइज़ है तो उस पर फ़ातिहा भी पढ़ी जा सकती है। लिहाज़ा अरहर की दाल और मछली चूंकि इनका खाना हलाल व जाइज़ है तो उन पर फातिहा पढ़ने में हरगिज़ कोई बुराई नहीं हैं, बल्कि मछली तो निहायत उम्दा और महबूब गिज़ा है।
जैसा कि हदीस में आया है कि जन्नत में अहले जन्नत को पहली गिज़ा मछली ही मिलेगी और जो खाना जितना उम्दा और लज़ीज़ होगा फातिहा में भी उसकी फज़ीलत ज़्यादा होगी।
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह, पेज 153)
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