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सफ़र के महीने का आखिर बुध

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कुछ जगह लोग सफ़र के महीने के आख़िरी बुध के बारे में यह ख्याल करते है कि इस रोज हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के ने मर्ज़ से शिफ़ा पाई थी। लिहाज़ा इस दिन खुशी मनाते हैं। खाने, शीरीनी वगैरा खाते खिलाते हैं, जंगल की सैर को जाते हैं और कहीं पर लोग इसको मनहूस ख्याल करते हैं और बरतन तोड़ डालते हैं हालांकि सफ़र
के आखिरी बुध की कोई अस्ल नहीं। न उस दिन हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के लिए मर्ज़ से सेहतयाबी का कोई सबूत। बाज़ जगह कुछ लोग इस
दिन को मनहूस ख्याल करके बरतनों वगैरा को तोड़ते हैं यह भी फुज़ूलखर्ची और गुनाह है। खुलासा यह कि सफ़र के महीने के आख़िरी बुध की इस्लाम में कोई खुसूसियत नहीं।

(फतावा रज़विया, जिल्द 10, निस्फ़े अव्वल, सफ़हा 117)
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह ,पेज 134)

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