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फ़िल्मी गानों की तर्ज़ पर नातें और मनक़बतें पढ़ना

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आजकल जलसों और मुशाइरों में शाइर व नातख्वाँ लोग फ़िल्मी गानों की तर्ज़ पर उनकी लय और सुर में हम्द, नात व मनकबत पढ़ने लगे हैं हालाँकि यह मना है। उन्हें इन हरकात से बाज़ रहना चाहिए और मुसलमानों को चाहिए कि ऐसे लोगों से हरगिज़ नज़्में न सुनें।

आलाहज़रत इमामे अहले सुन्नत फरमाते हैं
अगर गाने की तर्ज़ पर रागिनी की रिआयत हो तो नापसन्द है कि यह अम्र ज़िक्र शरीफ़ के मुनासिब नहीं।
(फतावा रजविया जिल्द 10  किस्त 2 सफ़ा 185)

(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह ,पेज 126)

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