हाथ उठा कर या सिर्फ़ इशारे से सलाम का जवाब देना
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सलाम करने या सलाम का जवाब देने में आजकल सिर्फ इशारा कर देना या हाथ उठा देना या थोड़ा सा सर हिला देना काफी राइज हो गया है। हालांकि इस तरह सलाम की सुन्नत अदा नहीं होती और अगर किसी ने सलाम किया और उसके जवाब में सिर्फ यही किया मुँह से वअलैकुमुस्सलाम न कहा तो गुनाहगार भी हुआ।
आलाहज़रत अलैहिर्रहमा फरमाते हैं।
"बन्दगी आदाब, तसलीमात वगैरा अल्फाज सलाम से नहीं और सिर्फ हाथ उठा देना काफी नहीं जब तक उसके साथ कोई लफ्ज़ सलाम का न हो।"
(फ़तावा रज़विया, जिल्द 10,निस्फ अव्वल, सफहा 168)
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह ,पेज 133)
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सलाम करने या सलाम का जवाब देने में आजकल सिर्फ इशारा कर देना या हाथ उठा देना या थोड़ा सा सर हिला देना काफी राइज हो गया है। हालांकि इस तरह सलाम की सुन्नत अदा नहीं होती और अगर किसी ने सलाम किया और उसके जवाब में सिर्फ यही किया मुँह से वअलैकुमुस्सलाम न कहा तो गुनाहगार भी हुआ।
आलाहज़रत अलैहिर्रहमा फरमाते हैं।
"बन्दगी आदाब, तसलीमात वगैरा अल्फाज सलाम से नहीं और सिर्फ हाथ उठा देना काफी नहीं जब तक उसके साथ कोई लफ्ज़ सलाम का न हो।"
(फ़तावा रज़विया, जिल्द 10,निस्फ अव्वल, सफहा 168)
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह ,पेज 133)
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