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छोटी तकतीअ में कुरआन 

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कुछ लोग बहुत ज़्यादा बारीक ख़त में लिखे हुये और बहुत छोटे साइज़ में कुरआन छापते हैं जिन्हें हमाइल शरीफ कहा जाता है बच्चों के गले में डालने के लिए तावीज़ की तरह पूरे कुरआन को बहुत बारीक और छोटा कर देते हैं यह नाजाइज़ है।
दुर्रे मुख्तार में हैः                                                                        يكره تصغير مصحف

यानी कुरआने करीम को छोटा बनाना  मकरूह है।
(दुर्रे मुख्तार ,किताब हजर वल इबाहत फस्ल फिलबैअ,जि.2 ,स.245) ।
आला हज़रत फरमाते हैं:
हजरत उमर फारूके आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु ने एक शख्स के पास कुरआन मजीद लिखा हुआ देखा है। इसको मकरूह रखा और उस शख्स को मारा।(फतावा रज़विया,जि.4,स.610)
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह,पेज 191)

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