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हिजड़े की नमाज़े जनाज़ा

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कुछ लोग हिजड़े की नमाज़े जनाज़ा पढ़ने न पढ़ने के बारे शक करते हैं कि पढ़ना जाइज़ है या नहीं तो मसअला यह है कि हिजड़ा अगर मुसलमान है तो उस की नमाज़े जनाज़ा पढी जायेगी और उस को मुसलमानों के कब्ररिस्तान में दफन किया जायेगा।
कुछ लोग पूछते हैं कि हिजड़े की नमाज़ की नियत और उस में जो दुआ पढ़ी जायेगी वह मरदों वाली हो या औरतों वाली शायद उन लोगों को यह मालूम नहीं कि मरदों और औरतों की नमाज़े जनाज़ा और उस की नियत में कोई फर्क नहीं दोनों का तरीका एक ही है और वहीं तरीका हिजड़े के लिए भी रहेगा। हाँ नाबालिग बच्चे और बच्ची की दुआ में फर्क है और वह बहुत मामूली ज़मीरों का फर्क है तो अगर हिजड़ा नाबालिग बच्चा हो तो उस के लिए लड़के वाली दुआ पढ़ दें या लड़की वाली हर तरह नमाज दुरूस्त हो जायेगी ।
(फतावा रज़विया जदीद ज•9 ,स•74 ,फतावा बहरुल उलूम जि•5 ,स•174)
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह, पेज 185)

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