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निफ़ास की मुद्दत

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अकसर औरतों में यह रिवाज़ है कि बच्चा पैदा होने के बाद जब तक चिल्ला पूरा  न हो । चाहे खून आना बन्द हो गया हो न नमाज पढें न रोजा रखें और न अपने को नमाज के लाइक जाने यह महज जहालत  है l जब निफास यानी खून आना बन्द हो जाए उसी वक़्त से नहा कर नमाज शुरू कर दें और अगर नहाना नुकसान करे तो तयम्मुम करके नमाज पढें I यानी निफास की  मुद्दत चालीस दिन जरूरी ख्याल करना गलत फ़हमी है जब तक खून आए तभी तक औरत निफास में मानी जाएगी I ख्वाह चन्द दिन ही हुए हों I हाँ अगर चालीस दिन गुजरने कं बाद भी खून आना बन्द न हो तो चालीस दिन के बाद नहा कर नमाज पढ़ेगी और जिन दिनो में उस पर नमाज़ रोजा ,फ़र्ज़ है उन . दिनो में शौहर और बीबी का हमबिस्तर होना भी जाइज़ है।

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