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हर नापाकी का ग़ुस्ल करना ज़रूरी नहीं

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अकसर देखा गया है कि लोगों से पूछा कि आपने नमाज क्यूँ नहीं पढी तो वह जवाब में कहते हैं कि हम नहाए हुए नहीं हैं और होता यह है कि उन्होंने या तो पेशाब करने के बाद ढेले या पानी से इस्तिन्जा नहीं किया हैं या उन्होने  बदन और कपडे पर कहीं कोई नापाकी पेशाब या गोबर या कीचड़ वगैरा कोई गन्दगी लग गई हैं और वह यह ख्याल करते हैं कि इन सूरतों में गुस्ल करना और नहाना जरूरी है और बिला वजह नमाज छोड कर  बडे गुनाहगार होते हैं हालाकि इन सब सूरतों में नहाने की ज़रूरत नहीं बल्कि बदन या कपड़े के जिस हिस्से पर नापाकी लगी हो उसको धोना या किसी तरह उस नापाकी को दूर कर देना काफी है या जिस कपड़े पर नापाकी है उस कपड़े को बदल दिया जाए।यह भी उस सूरत में है जब कि नापाकी दूर करने या उसको धोने  पर क़ादिर हो वरना ऐसे ही नापाक कपड़े में नमाज़ पढ़ी जाए और अगर तीन चौथाई से ज़्यादा कपड़ा नापाक हो तो नंगे बदन नमाज़ पढे और अगर एक चौथाई पाक है बाकी नापाक तो वाजिब है कि उसी कपड़े में नमाज़ पढ़े।

(बहारे शरीअत ,हिस्सा 3,सफहा 46)

मगर यह सब उसी वक़्त है जब कि नापाकी को दूर करने या धोने की कोई सूरत न हो और बदन छुपाने को कोई और कपडा न हो । 

इन मसाइल की तफसील जानने कें लिए फतावा आलमगींरी ,फतावा रजविया ,बहारे शरीअत, कानूने शरीअत निज़ामे शरीअत वगैंरा किताबे पढना चाहिए ।

खुलासा यह है कि नमाज किसी सूरत में छोडने की इजाज़त नहीं है और हर नापाकी पर नहाना फर्ज नहीं । ग़ुस्ल फर्ज़ होने की तो चन्द मखसूस सूरते है ।जैसे मर्द औरत के साथ हमबिस्तर होना दोनो में से किसी को एहतिलाम होना या जोश और झटको के साथ मनी का खारिज  होना औरतों को हैज व निफास आना । तफसील के लिए दीनी किताबे पढे ।

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