मर्द और औरतों का एक दूसरे की मुशाबहत करना
⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬आजकल मर्दों में औरतों की और औरतों में मर्दों की मुशाबहत इख्तियार करने और उनके अन्दा व लिबास व चाल ढाल अपनाने का मर्ज़ पैदा हो गया है हालाँकि हदीसे पाक में ऐसे लोगों पर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने लानत फ़रमाई है जो मर्द होकर औरतों की और औरत होकर मर्दों की वज़अ क़तअ अपनायें।
एक हदीस में है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि हमारे गिरोह से नहीं वह औरत जो मर्दाना रखरखाव अपनाये और वह मर्द जो जनाना ढंग इख्तियार करे।
अबू दाऊद की हदीस में है कि एक औरत के बारे में सय्यिदा आइशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु तआला अन्हा को बताया गया कि वह मर्दाना जूता पहनती है तो उन्होंने फरमाया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने मर्दानी औरतों पर लानत फ़रमाई है।
खुलासा यह है कि जो वज़अ क़तअ रखरखाव लिबास वगैरह मर्दों के साथ खास हों उनको औरतें न अपनायें और जो औरतों के साथ ख़ास हो उसको मर्द न अपनायें।
आजकल कुछ औरतें मर्दों की तरह बाल कटवाने लगी हैं यह उनके लिए हराम है और यह मरने के बाद सख़्त अजाब पायेंगी।
ऐसे ही कुछ मर्द औरतों की तरह बाल बढ़ाते हैं सूफी बनने के लिए लम्बी लम्बी लटें रखते हैं, चोटियाँ गूँधते और जूड़े बना लेते हैं, ये सब नाजाइज़ व ख़िलाफ़ शरअ है। तसव्वुफ और फकीरी बाल बढ़ाने और रंगे कपड़े पहनने का नाम नहीं बल्कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की सच्ची पैरवी करना और ख्वाहिशाते नफ़्सानी को मारने का नाम है। (बहारे शरीअत हिस्सा 16 सफ़ा 198)
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह,पेज 162)
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