बैआना (एडवान्स) ज़ब्त करना
⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬आजकल अक्सर ऐसा होता है कि एक शख्स किसी से कोई माल खरीदता है और बेचने वाले को कुछ रक़म पेशगी देता है। जिसको बैआना कहते हैं। फिर किसी वजह से वह माल लेने से इन्कार कर देता है तो बेचने वाला बैचने की रकम ख़रीदार को वापस नहीं करता बल्कि ज़ब्त कर लेता है और पहले से यह तय किया जाता है कि अगर सौदा न ख़रीदी तो बैआना जब्त कर लेंगे। यह बैआना ज़ब्त करना शरअ के मुताबिक मना है और यह बैआने की रकम इस तरह उसके लिए हलाल नहीं बल्कि हराम है।
आलाहज़रत अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं:- बैआना आजकल तो यूँ होता है कि अगर खरीदार बाद बैआना देने के, न ले तो बैआना ज़ब्त, और यह कतअन हराम है।
(अलमलफूज़ हिस्सा 3, सफ़ा 27)
हाँ अगर बैअ तमाम हो ली थी और बिला किसी शरई वजह के ख़रीदार ख्वामख्वाह ख़रीदने से फिरता है तो बेचने वाले को हक हासिल है कि वह बैअ को लाज़िम जाने और माल उसके हवाले करे और कीमत उससे हासिल करे ख्वाह काज़ी व हाकिम या पंचायत वगैरह की मदद से लेकिन उसको माल न देना फिर उसकी रकम वापस न करना हराम है।
आलाहज़रत अलैहिर्रहमा फरमाते हैं :-बैअ न होने की हालत में बैआना ज़ब्त कर लेना जैसा कि जाहिलों में रिवाज है ज़ुल्मे सरीह है (खुला हुआ ज़ुल्म है)
मजीद फरमाते हैं :- यह कभी न होगा कि बैअ को फस्ख (रद्द) हो जाना मानकर मबीअ (सौदा) ज़ैद को न दे और उसके रुपये इस जुर्म में कि तू क्यूं फिर गया, ज़ब्त कर ले।
(फ़तावा रज़विया, जिल्द 7, सफ़ा 7)
भाईयो! हराम खाने से बचो सुकून व चैन जिसे अल्लाह तआला देता है उसे मिलता है दौलत और पैसे से नहीं। आपने बहुत से मालदारों को बेचैन व परेशान देखा होगा।और बहुत से गरीबों को चैन व सुकून में आराम से सोते देखा होगा और असली चैन की जगह तो जन्नत है।
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह, पेज 165)
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