क़ुरआने करीम गिर जाये तो उसके बराबर तोल कर अनाज ख़ैरात करना
⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬क़ुरआने करीम अगर हाथ या अलमारी से गिर जाये तो कुछ लोग उसको तोल कर बराबर वज़न का आटा,चावल वगैरा खैरात करते हैं, और उस खैरात को उसका कफ्फारा ख्याल
करते हैं, यह उनकी गलतफहमी है।
क़ुरआने करीम जानबूझ कर गिरा देना या फेंक देना तो।बहुत ही ज़्यादा बुरा काम है। किसी भी मुसलमान से इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह ऐसा करेगा और जो।तौहीन व तहकीर के लिए ऐसा करेगा वह तो खुला काफ़िर है। तौबा करे फिर से कलिमा पढ़े, निकाह हो गया हो तो फिर से निकाह करे।
लेकिन अगर धोके से भूल में कुरआन शरीफ़ हाथ से छूट गया या अलमारी वगैरह से गिर गया तो उस पर कोई गुनाह नहीं है। भूल चूक माफ है। लेकिन फिर भी अगर बतौरे।खैरात कुछ राहे खुदा में खर्च कर दे तो अच्छी बात है और निहायत मुनासिब व बेहतर है। लेकिन क़ुरआन शरीफ़ को तोलना और उसके वज़न के बराबर कोई चीज़ खैरात करना और उस ख़ैरात को कफ्फारा समझना नासमझी और।बेइल्मी है। कुरआने करीम को तोलने और वज़न के बराबर सदका करने का इस्लाम में कोई हुक्म नहीं है।कुरआन व हदीस और फ़िक़्ह की किताबों में कहीं ऐसा हुक्म नहीं आया है। हाँ सदका व खैरात एक उम्दा काम है। लिहाज़ा जो कुछ आप से हो सके थोड़ा या ज़्यादा राहे खुदा में खर्च कर दें, सवाब मिलेगा और नहीं किया तब भी गुनाह व अज़ाब नही।
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह,पेज 166)
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