लडकों की शादी में बजाए वलीमे के मंढ़िया करना
⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬लड़के की शादी में जो ज़ुफ़ाफ यानी बीवी और शौहर के जमा होने के बाद सुबह को अपनी बिसात के मुताबिक मुसलमानों को खाना खिलाया जाए उसे 'वलीमा' कहते हैं और यह सय्यिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम की मुबारक सुन्नत है काफी हदीसों में इसका ज़िक्र है सरकार सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने खुद वलीमे किये और सहाबा किराम को भी उस का हुक्म दिया मगर आजकल काफी लोग शादी से पहले दावते करके खाना खिलाते हैं जिसको मंढ़िया कहा जाता है वलीमा ना करना उसकी जगह मंढ़िया करना खिलाफे सुन्नत है मगर लोग रस्मो-रिवाज पर अड़े हुए हैं और अपनी ज़िद और हठधर्मी या नावाकिफी की बुनियाद पर रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम की इस मुबारक और प्यारी सुन्नत को छोड़ देते हैं । इस्लाम के इस तरीके में एक बड़ी हिकमत यह है कि अगर निकाह से पहले ही खाना खिला दिया तो हो सकता है किसी वजह से निकाह ना होने पाए और अक्सर ऐसा हो ही जाता है तो इस सूरत में वह निकाह से पहले के तमाम इखराजात बे मकसद और बोझ बनकर रह जाते हैं ।
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह ,पेज 83)
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