Saturday

एतिकाफ में चुप रहना

⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬
कुछ लोग एतिकाफ में चुपचाप बैठे रहने को जरूरी समझते हैं हालांकि एतिकाफ में  चुप रहना न ज़रूरी ,न महज़ खामोशी कोई इबादत बल्कि चुप रहने को सवाब की बात समझना मकरुहे तहरीमी है ।
(बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफहा 153)

अलबत्ता बुरी बातों से चुप रहना जरूरी है खुलासा यह की एतिकाफ की हालत म कुरआन मजीद की तिलावत करें ,तसबीह व दुरूद का  विर्द रखें, नफिल पढ़े , दीनी किताबों का मुतालआ करे ,दीन की बातें सीखने और सिखाने में कोई हर्ज नहीं बल्कि इबादत है। जरूरत के वक़्त कोई दुनिया की जाइज़ बात भी की जा सकती है । इससे एतिकाफ फ़ासिद नहीं होगा । हां ज्यादा दुनियवी बातचीत से एतिकाफ बेनूर हो जाता है और सवाब कम हो जाता है।
(ग़लत फहमियां और उनकी इस्लाह,पेज 67)


No comments:

Post a Comment