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लैटरीन में क़िब्ले की तरफ मुंह या पीठ करना

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हदीस शरीफ में है अल्लाह  के रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया., जब तुम में से कोई रफए हाजत करे तो क़िब्ले  की तरफ न मुँह करे और न पीठ।(मिश्कात सफहा ४२)

इसके बरखिलाफ._ अवाम तो अवाम बाज़ खवास अहले इल्म तक में इस बात का ख्याल नहीं रखा जाता और पाखाना, पेशाब के वक़्त , आम तौर से लोग किब्ले, की जानिब मुह या पीठ कर लेते हैँ I घरों में लैटरीन बनाते  वक़्त , मुसलमानो को खास  तौर से इस बात का ,ख्याल रखना चाहिए कि बठने की सीट इस तरह लगाईं जाए कि इस्तिन्जा करने वाले का न मुँह काबे की तरफ़ हो और न पीठ I हिन्दुस्तग्न में लेटरीन की सीटें उत्तर दक्खिन रखी जायें, पूरब और पच्छिम न रखी जायें I अगर किसी के यहॉ गलती, से लैटरीन की सीट पूरब पच्छिम लगी हो तो पाँच सौ या  हजार रुपयों के  खर्च की फिक्र न करे । फ़ौरन  उसे उखडवा कर उत्तर दक्खिन कराए। हो सकता है कि अल्लाह तआला को उसकी यह नेकी पसन्द आ जाए और उसकी बख्शिश हो जाए I दरअस्ल अदब बेहद ज़रूरी  है।  बे अदबी से महरूमी आती है खैर व बरकत  उठ जाती है। नहूसत इन्सान को घेर लेती है । और अदब से ,खैर व बरकत आती है रहमत बरसती है I ज़िन्दगी पुर सुकून बारौनक  हो जाती है I

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