फ़िल्मी गानों में कुफ्रियात
⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬आजकल हिन्दुस्तान में फिल्मी मनाज़िर और उनके गानो के ज़रिए भी मुसलमानों को काफिर बनाने और उनके ईमान व अकीदे को तबाह करने की मुनज़्ज़म साजिश चल रही हैं । फिल्म की मज़ेदारियो और उसकी लज़्ज़त और गानो की लुत्फ अन्दोजी के सहारे ऐसे कड़वे घुट मुस्लिम नस्लो की घाटी से उतारे जा रहे है जिन से कभी` वह बहुत भागते थे और मुसलमान उन्हें बडे आसानी से अब हजम करते चले जा रहे है, बल्कि सही बात यह है कि आजकल फिल्मों ,टेलीवीजनो कें जरिए काफिर अपने धर्म का प्रचार कर रहे है । आगे हम चन्द फिल्मी गानों के वह शेर लिख़ रहे है जिन का कुफ्र होना इतना जाहिर है कि उसके लिए किसी आलिम या मौलाना साहब से पूछने की क़तई जरूरत नही है बल्कि हर आदमी भी जान सकता है कि यह खालिस काफिराना बकवासे है।
खुदा भी आसमां से जब ज़मी पर देखता होगा
मेरे महबूब को किसने बनाया सोचता होगा
अब आगे जो भी हो अन्जाम देखा जाएगा
खुदा तराश लिया और बन्दगी कर ली।
रब ने मुझ पर सितम किया है
सारे जहाँ का ग़म मुझे दे दिया है
इन गानों का जाइज़ा लीजिये और देखिये अल्लाह तआला के बारे में यह अक़ीदा रखना कि वह आसमान से जब देखता होगा हालांकि मुसलमानो का अक़ीदा यह है कि अल्लाह रब्बुलइज़्ज़त हर चीज़ को हमेशा से देखता है और हमेशा देखेगा ।ख़ुदाए तआला के बारे में यह बकवास या मेरे महबूब को बनाने वाले के बारे में वह् सोचता होगा हालांकि उसका इल्म सोचने से पाक है,यह सब खुले कुफ्र हैं। इसी तरह दूसरे गाने मे, खुदा तराश लिया और बन्दगी कर ली,कितना बड़ा कुफ्र है इस्लाम से मज़ाक और क़ुरान करीम से ठट्ठा किया गया है जिस के खुले कुफ्र होने में जाहिल मुसलमान को भी शक नहीं है।
तीसरे गाने में परवर दिगार आलम को सितम गर बताना ,उससे शिकवा करना और उसकी नाशुक्री करना कि उसने सारे जहान का गम ,मुझे दे दिया है। यह सब वह कुफ्रियात है जो कितने मुसलमानो से कहला कर गानों के ज़रिये उनके ईमान खराब कर दिये हैं और इस्लामी हदों से बाहर लाकर खड़ा कर दिया गया है।
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