बुज़ुर्गों के नाम के चिराग जलाना
⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬आज कल इस का काफी रिवाज़ हो गया,किसी बुज़ुर्ग के नाम का चिराग जला कर उस के सामने बैठते हैं। यह गलत है हाँ अगर इस चिराग जलाने का कोई मकसद हो इस से किसी राह गीर वगैरा को फाइदा पहुँचे या दीनी तालीम हासिल करने पढ़ने पढ़ाने वालो को राहत मिले या किसी जगह ज़िक्र व शुक्र इबादत व तिलावत करने वालों को इस से नफ़अ पहुँचे तो ऐसी रोशनियाँ करना बिलाशुबह जाइज़ बल्कि कारे सवाब है और जब इस में सवाब है तो उस से किसी बुज़ुर्ग की रूहे पाक को सवाब पहुँचाने की नियत भी की जा सकती है आमाल और वजाइफ की किताबों में जो आसेब वगैरा के इलाज़ के लिए छोटा चिराग और बड़ा चिराग रोशन करने के लिए लिखा है वह अलग चीज़ है वह किसी बुज़ुर्ग के नाम से नहीं रोशन किया जाता।
खुलासा यह है कि यह जो हुज़ूर गौसे पाक रदियल्लाहु तआला अन्हु वगैरा किसी बुज़ुर्ग के नाम के चिराग जला कर उस के सामने बैठने का मामूल है यह बे सनद बे सुबूत बे मकसद है और बे असल है।
हदीस पाक में है हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि
वसल्लम ने फरमायाः
जो हमारे दीन में कोई ऐसी बात निकाले जिस की उस
में असल न हो तो वह कबूल नहीं है।
(इब्ने माजा 3 हदीस 17)
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह ,पेज 196)
Ma'sha-Allah Bhai Accha Kaam Kr Rhe Ho Allah Apki Mehnat Qubool Farmaye
ReplyDeleteMashallah
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