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जवान लड़के लड़कियों की शादी में देर करना 

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आजकल जवान लड़के लड़कियों को घर में बिठाए रखना और उनकी शादी में ताखीर करना आम हो गया है इस्लामी नुक़्तए नज़र से यह गलत बात है ।

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हदीसे पाक में है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम इरशाद फरमाते हैं
जिस की लड़की 12 बरस की उम्र को पहुंचे और वह उसका निकाह ना करें फिर वह लड़की गुनाह में मुब्तला हो तो वह गुनाह उस शख्स पर है (मिश्कात शरीफ सफहा 271)
ऐसी ही हदीस लड़कों के बारे में भी आई है
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आजकल की फुज़ूल रस्मो और बेजा ख़र्चों ने भी शादियों को मुश्किल कर दिया है जिसकी वजह से भी बहुत सी जवान लड़कियां अपने घरों में बैठी हुई है और लड़के मालदारो की लड़कियों की तलाश में बूढ़े हुए जा रहे हैं इन खर्चों पर कंट्रोल करने के लिए जगह-जगह तहरीके चलाने और तन्ज़ीमे बनाने की जरूरत है चाहे वह अपनी अपनी बिरादरी की सतह पर ही काम किया जाए तो कोई हर्ज नहीं । भाइयों ! दौर काम करने का है सिर्फ बातें मिलाने या नारे लगाने और मुशायरे सुनने से कुछ हासिल ना होगा शादी ब्याह में कम से कम खर्च करने का माहौल बनाओ ताकि ज्यादा से ज्यादा मर्द और औरतें शादीशुदा रहे ।

कुछ लोग आला तालीम हासिल कराने के लिए लड़कियों की उम्र ज्यादा कर देते हैं उन्हें वह गैर शादीशुदा रहने पर मजबूर कर देते हैं वह भी निरी हिमाकत और बेवकूफी है ।

आजकल मुसलमानों में कुछ बदमज़हब और बातिल फिरके जवान लड़कियों की आला तालीम के लिए मदारिस और स्कूल खोलने में  बहुत कोशिश कर रहे हैं । उनका मकसद अपने बातिल और मखसूस गैर-इस्लामी अक़ाइद मुसलमानों में फैलाने के अलावा और कुछ नहीं है और इधर लोगों में आजकल औलाद से मोहब्बत इस कदर बढ़ गई है कि हर शख्स कोशिश में है मेरी लड़की मेरा लड़का पता नहीं क्या-क्या बन जाए आला तालीम के नशे सवार है और बनता तो  कोई कुछ नहीं लेकिन अक्सर बुरे दिन देखने को मिलते हैं लड़के ज्यादा पढ़ कर बाप बन रहे हैं लड़कियां माँ बन रही है।

हो सकता है कि हमारी इन बातों से कुछ लोगों को इख्तिलाफ हो मगर हमारा मशवरा यही है लड़कियों को आला तालीम से बाज़ रखा जाये , खासकर जब कि यह तालीम शादी की राह में रुकावट हो और पढ़ने पढ़ाने के चक्कर में अधेड़ कर दिया जाता हो और खासकर गरीब तबके के लोगों में क्योंकि उनके लिए पढ़ी लिखी लड़कियां बोझ बन जाती है क्योंकि उनके लिए शौहर भी ए क्लास और आला घर के होना चाहिए और वह मिल नहीं पाते कोई मिलता भी है तो वह जहेज़ मे मारुती कार मोटरसाइकिल का तालिब है बल्कि बारात से पहले एक दो लाख रूपये का सवाल करता है ।
हिंदुस्तान गवर्नमेंट जो बच्चों को ऊँची तालीम दिलाने पर ज़ोर दे रही है , उसके लिए मेरा मशवरा है कि वह तालीम याफ्ता बच्चों की नौकरी व मुलाज़िमत की ज़िम्मेदारी ले या उनके वज़ीफ़े मुतय्यन करे। खाली पढ़ा  कर छोड़ देना ,न घर का रखा न बाहर का,न खेत का न दफ्तर का। यह गरीबों के साथ ज़ुल्म है और समाज की बर्बादी है।
(गलत फहमियां और उनकी इस्लाह ,पेज 83)

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